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ISBN 13 | 9789391873042 |
Book Language | Hindi |
Binding | Paperback |
Total Pages | 111 |
Author | VINITA DHAKAD |
Editor | 2021 |
GAIN | YMBLX4QF4I5 |
Category | Poetry |
Weight | 200.00 g |
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This Item: Adhuri khwahishey
₹320.00
Sold by: Anuradha Prakashan
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भारत भूमि के मात्र एक कण के बराबर मध्यप्रदेश में माँ नर्मदा के पावन तट पर बसा एक छोटा सा ग्राम बरहा कलां जिसकी गोद में मेरी जिंदगी की पहली किरण ने अंगड़ाई ली। यहीं से शुरू हुआ जिंदगी का सफर । गाँव में शिक्षा की उचित व्यवस्था ना होने के कारण घर से दूर मौसी जी के पास रहकर पढ़ाई की मौसा जी की कविताओं में अत्यधिक रुचि होने के कारण पढ़ाई के साथ-साथ साहित्य जगत से भी परिचय हुआ उनके साथ बैठकर कविताएं सुनना, पढ़ना अच्छा लगता था यहीं से शुरू हुआ मन के भावों को टूटे-फूटे शब्दों में पिरोने का सिलसिला । उम्र बढ़ती गई लेखन के प्रति रुझान भी बढ़ता गया । पापा के विचारों ने सोच को विस्तार दिया और आगे बढ़ने की प्रेरणा भी और कई लोगों का सहयोग मिला । कुछ उठाने वाले मिले तो कुछ गिराने वाले दोनों से ही कुछ नया सीखने को मिला ।