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समीक्षा

द इम्पेरिशेबल सीड में, भास्कर कांबले यह दिखाने के लिए ठोस साक्ष्य इकट्ठा करते हैं कि यह ज्ञान कैसे र्रआया दुनिया के बाकी हिस्सों में कैसे प्रसारित किया गया। गणित के छात्र "पास्कल त्रिभुज", "फिबोनाची अनुक्रम", "रोल की प्रमेय" और "टेलर श्रृंखला" पढ़ते हैं। लेकिन वे यह नहीं जानते हैं कि इन अवधारणाओं को पिंगला, हेमचंद्र, भास्कर और माधव जैसे भारतीय गणितज्ञों द्वारा यूरोप में उनकी अनुमानित खोजों की तुलना में बहुत पहले प्रतिपादित किया गया था। आज गणित के कई क्षेत्र- संख्याओं के दशमलव पद्धति और साधारण अंकगणित से लेकर बीजगणित, त्रिकोणमिति, और यहाँ तक कि कलन(कैलकुलस) तक- हिंदू गणितज्ञों द्वारा विकसित किए गए थे या उनकी उत्पत्ति उनके कार्यों के कारण हुई थी। 'द इम्पेरिशेबल सीड' में, भास्कर कांबले यह दिखाने के लिए ठोस प्रमाण देते हैं कि यह ज्ञान कैसे आया और दुनिया के बाकी हिस्सों में कैसे प्रसारित किया गया। उन्होंने न केवल गणित में, बल्कि खगोल विज्ञान और भाषा विज्ञान जैसे क्षेत्रों में प्राचीन और मध्यकालीन भारत के योगदान पर चर्चा की और कैसे ये योगदान आज भी कंप्यूटर विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अनुप्रयोगों को खोजते रहते हैं। अंत में, उन्होंने पता लगाया कि भारत में हिंदू गणित की परंपरा क्यों और कैसे समाप्त हुई और आज अधिकांश लोग इसके इतिहास के बारे में क्यों नहीं जानते हैं।
Review by - November 07, 2022

Mr

Wonderful compilation of great work done by our scientist seers
Review by - December 10, 2022
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