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वैदिक धर्म का जो वर्तमान स्वरूप हमें आजकल देखने को मिलता है; उसे आज का तर्कशील व वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखनेवाला मानव अंधविश्वास; आस्था व रूढ़िवाद की संज्ञा देता है। यह विचारणीय है कि क्या वास्तव में हमारे धर्म की पूजा-पाठ विधि; पर्व-त्योहार; सांस्कृतिक मान्यताएँ व रीति-रिवाज केवल आस्था पर टिके हैं या फिर उनका कोई वैज्ञानिक आधार है?
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ISBN 13 | 9789386870803 |
Book Language | Hindi |
Binding | Hardcover |
Publishers | Granth Akademi |
Category | Hinduism |
Weight | 400.00 g |
Dimension | 14.00 x 2.00 x 22.00 |
Product Details
प्रायः देखा गया है कि पढ़े-लिखे लोग; जो अपने को बुद्धिजीवी मानते हैं; वे धर्म की परंपरा; परिपाटी व उसके वर्तमान स्वरूप की या तो उपेक्षा करते हैं या फिर उसके प्रति व्यंग्यात्मक रवैया अपनाते हैं। उनमें से कुछ का तो यह भी मानना है कि हमारी धार्मिक मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। परंतु उनकी यह सोच वास्तविकता से बहुत परे है; क्योंकि जिन लोगों ने हिंदू धर्म के मूल रूप को जाना व अध्ययन किया है; वे जानते हैं कि हमारे धर्म का एक सुदृढ़ वैज्ञानिक आधार है। आवश्यकता केवल उसके मर्म और मूल स्वरूप को समझने की है।