पुस्तक दिल्ली दंगे 2020 - एक अनकही कहानी, फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों पर शोध आधारित तथ्यात्मक सामग्री है। इस सामग्री को लेखकों और उनकी टीम द्वारा तब एकत्र किया गया जब वह उत्तर पूर्व दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रो में बात करने गईं और उन लोगों ने दंगा पीड़ित परिवारों से बातचीत की। जो शोधकर्ता टीम थी उसने हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही प्रभावित पक्षों से बात की और इसके साथ ही वह लोग दोनों ही समुदायों के उन सभी धार्मिक नेताओं से मिले जिन्होनें स्थिति को संतुलित करने और हालातों को सम्भालने की कोशिश की। इस पुस्तक में आठ अध्याय हैं जो धरना से दंगा मॉडल तक की प्रमाण और तथ्य आधारित कहानी को बताते हैं, जिनकी योजना दिल्ली में बैठे अर्बन नक्सल और जिहादी तत्वों ने बनाई और फिर उसे लागू किया। यह पुस्तक हिन्दू और मुस्लिम पीड़ितों से प्राप्त नैरेटिव को बताती है, उन दलितों की कहानियां सुनाती है जिन्हें ऐसी निर्दयता से मारा गया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है, यह पुस्तक दंगे की खतरनाक अर्बन नक्सल-जिहादी गठजोड़ को परत दर परत दिखाती है। इस पुस्तक में उन सभी संपत्तियों की एफआईआर हैं जिन्हें जला दिया गया, जिन्हें नष्ट किया गया, और अंकित शर्मा और रतन लाल की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट भी शामिल है, जिन्होनें इस बर्बर हिंसा में अपनी जान गँवा दी।
इस पुस्तक की मुख्य थीम में से एक थीम है नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों की आड़ में उत्तर पूर्वी दिल्ली का सुलग उठना और समुदायों के बीच जो सौहार्द था उसे खत्म करना। यह पुस्तक हमें उस नफरत और हिंसा की झलक दिखाती है जो दो समुदायों के बीच भड़की और जिसने दशकों से चले आ रहे आपसी भाई चारे और सौहार्द के रिश्तों को जलाकर राख कर दिया। यह पुस्तक हिंसा के पीछे के प्लाट को बताती है, कि इसकी कैसे योजना बनाई गई और कैसे एक एक कर घटनाएँ हुईं। इस पुस्तक में जाफराबाद में 23 फरवरी 2020 को हुई की घटनाओं का वर्णन है जिसने अगले दिन इस इलाके में दंगों की भूमिका तैयार कर दी थी। यह दिखाती है कि कैसे उत्तर पूर्व दिल्ली में महिला सशक्तिकरण की आड़ में नरसंहार की योजना बनाई गयी थी। यह पुस्तक अर्बन-नक्सल-जिहादी गठजोड़ के सिद्धांतों को बताती है जो उनके खुद के दस्तावेज और साहित्य में दिया गया है। इस पुस्तक को इसलिए भी अवश्य पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह इस देश के नागरिकों को यह भी दिखाती है कि कैसे उनकी आतंरिक सुरक्षा को कट्टरपंथी विचारधाराओं द्वारा रोज़ चुनौती दी जा रही है, कैसे यह कट्टर विचारधाराएं उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बन गईं हैं।